कहीं पर लग नही पाता
कैसे समझाऊँ मन को
इसमें बस बातें तेरी हैं।
तुझे पा नही पाती हूँ
मन ये तुझको चाहता है
कैसी दूरियाँ हो गई
स्याह सी अब रातें मेरी हैं।
तेरे पीछे पीछे डोलूँ
पर कुछ शब्द न मैं बोलूँ
बातों का शोर है दामन मे
कैसी ख़ामोशी ठहरी हैं।
तू मेरा है जानें ये जग सारा
सूने मन मे पसरा अँधियारा
तू दीप बन कर जल
सरिता तेरी ही बाती है।
कैसे छोड़ दूँ तुझको
तू दिल जान है मेरा
पर बेरुखी तेरी , जान
मेरे दिल को बहुत तड़पाती है।
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