गुरु

 मेरे बेरंग से सपनों में जो सतरंगी रंग भर जाए

 मेरे मन की दुविधा को जो बिना कहे ही सुलझाए

 मेरे सभी गुरुजन को बारंबार प्रणाम है।


अंधियारों के साए में जब अपना जीवन चलता हो

 ज्ञान के दीपक जला कर राह में  जब 

लक्ष्य सूरज सा जब चमकता है

 रस्ता रोशन करने वाले गुरुजन आप महान हैं। 


ज्ञान का बीज बो कर मुझमे 

मेरी बुद्धि में, शिक्षा का विकास किया

नींव को मेरी मजबूती देकर

मेरे जीवन को आधार दिया

ज्ञान का मीठा फल देने वाले 

गुरुजन को प्रणाम है। 


सत्य अनुशासन का पाठ पढ़ाएं 

हरदम मुझ को आगे बढ़ाएं 

मेरा मनोबल जब भी टूटे 

डोर खींचकर मेरी पतंग उड़ाये

उम्मीदों को पंख लगाने वाले

 गुरुजन को प्रणाम है । 


उलझा सा जब मैं रहता हूँ

 पल भर में  सुलझाते हो 

कमियों को निकाल कर मेरी 

एक नया रूप दे जाते हो 

ऐसे कुंभकार को बारंबार प्रणाम है । 


जब भी गिरता हूँआप उठाते 

कदम कदम पर मुझे सिखाते 

मैं कच्ची सी मिट्टी का गोंदा

ना निखरा तो जाऊंगा रौंदा 

नए सांचे में ढाल के मुझको 

एक नया रूप दे जाते हो 

मेरे ऐसे गुरुजन को बारंबार प्रणाम है। 

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