दो नैना है अनगिनत सपनें
हर पल मे लगते हैं अपने
मेरी निंदियाँ, जब जब टूटे
इन आँखों के सपने रूठे।
आँखों की कोरें कहती हैं
तेरे लिए हर पल बहती हैं।
बूझ गई मेरे मन की बाती
मिलता नही तु, ना कोई पाती।
भूलभूलैया मे जीवन है
तेरे बिन सब कुछ बेरंग है।
होली के रंगो मे ढूँढू
दीपो की माला से पूछूँ।
हर दिन तेरा, तेरी रातें
तन्हाई मे करते बातें।
लब पर मेरे दुआ है तेरी
मिल मुझको अब ज़िंदगी मेरी।
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