गीत

 


                   तुझ पर सब कुछ वार चले हम

वक़्त ये अपना गुजार चले हम।


तुझ भी सावन कैसा सावन? 

सब फीके है बस तु मनभावन

मिलन की तुझसे मनुहार करें हम। 


तेरी यादें है तेरी बातें

मन विरह मे तड़प ही जाते

मिलके तुझसे बात करे हम। 


सब रंग फीके, एक रंग भारी

तुझसे मिलन की करी तैयारी

कर सोलह श्रृंगार चले हम। 


मन की बातें, मन ही जाने

हम तो तुमसे हैं अंजाने

करके अब पहचान चले हम। 


सावन की ॠतु , हैं मनभावन

मिल जा मुझको मेरे साजन

अपना सब कुछ हार चले हम। 




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