दर्द

                 


       तुझसे शिकायत क्या करूँ,

       तेरे करीब आने की हसरत है। 

    भेज दूँ मैं वक़्त थोड़ा अपने लिए

        तुझे कहाँ मिलने की फुर्सत है। 


      तुझे ही सोचता है मन, 

       तुझे ही खोजता ही मन। 

        मिल भी जा मुझे अब तु, 

         मुझे तुझसे ही उल्फत है। 


       हर बार बार खता करता है ये मन,

      तुझसे मिलने को मचलता है मन, 

       बेचैन आज बहुत ये तबियत है। 


प्यार का मीठा दर्द है ये, 

जो तन्हाई दे जाता है

कोई दवा नही इस मर्ज़ की, 

ये दर्द दवा से बेहतर है। 


हमदर्दी का वादा करके कभी,

हाल-ए- दिल ना पूछा तूने मेरा

तेरी उल्फत मे हम भूल गए, 

की "तू " बेदर्द सितमगर है। 


तुझसे शिकायत क्या करूँ,

तेरे करीब आने की हसरत है । 


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