मित्रता




 चाहे अम्बर सा फैला ना हो

चाहे समंदर सा गहरा न हो

पर प्यार तेरा जब मुझसे हो

वो बिल्कुल भी मैला न हो...!! 



ऊँच नीच का कभी भेद न हो

अमीरी गरीबी का द्वेष न हो

चुन लो मेरी बुराई के सब कंकर

जब तक दामन मे सब हीरें न हो.....!! 


चाहे कृष्ण सुदामा जैसे हम न हो

निषादराज और श्री राम हम न हो

पर यारी अपनी ऐसी हो

जिसमे स्वार्थ का नाम न हो....!! 


चाहे शब्दों को हम बुनते न हो

किताब के पन्नो को पलटते न हो

तुम पढ़ लेते हो बस एक निगाह मे ही

अब उन शब्दों का कोई हिसाब न हो...!! 


रिश्तों मे जब भाव न हो

अधरों पर मुस्कान न हो

सब पर भावों से प्यारा रिश्ता "दोस्ती"

कायम रहे तमाम उम्र,कभी तकरार न हो.!


जीवन मे कभी अंधकार न हो

गमो की कभी बरसात न हो

ढाल कवच, बन जाते हो तुम 

साथ रहो हर पल, पर अलगाव न हो.!! 










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