मीत मेरा


 मन से मिले मीत मेरा, वो साँवरिया सरकार

प्रीत की ऐसी रीत निभाऊँ, जिसका वो हक़दार। 


नैनों मे मेरे बस गए मोहन,मेरी साँवली सरकार

तुझ संग प्रीत की जोड़ूं डोरी, मैं अलबेली नार। 


मैं रूठूं खुद ही मानू, तेरी हठ का न कोई पार

नखरीला है मेरा साँवरिया, पर मेरा दिलदार। 


मोहन की मोहिनी बनूँ, दिल तेरा तलबगार

अद्भुत रूप मेरे प्यारे का, मैं उस पर बलिहार। 


तेरे रंग मे रंग कर मोहन, आया बड़ा निखार

नून राई से नज़र उतारूँ, करे जब तू श्रृंगार। 


धुन मुरली की लागे प्यारी, मन लगे हिलोरे मार

मोर पंख का मुकुट साजे, अदभुत छँटा आपार। 




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