तिनका


sparsh poetry, sarita prajapati poems
        
       तिनका तिनका जुड़ती है यादें आशियाने मे

सारा जीवन दे दिया इस नीड को सजाने मे.... 

एक ख्वाब रख कर भूल गए दिल के तहखाने मे

   खुद को भी खुश रखना है जीने के लिए जमाने मे....!! 


वक़्त पल मे बदलता है ,न देर लगती है बदल जाने मे    

बहुत वक़्त लगा बैठे शायद हम खुद को समझाने मे

कह नही पाए कुछ मन की हम,रह गएसुनने,सुनाने मे

 मेहनत से पाया सबकुछ,नहीआये किसी के बहकाने मे..!! 


ख्याबो के भी बड़े सौदागर हम बन बैठे अंजाने मे

हसरतें मचलती रही, हम लगे थे दिल को समझाने मे

कितने सावन बरस गए, हम तरस गए भीग जाने मे

ख़ुद को हमने डूबा हुआ पाया, लगे ख़ुद को बचाने मे..!! 


तिनका सी जोड़ी यादों को, बसाया सदा पलकों मे

मेहनत भी रंग लायेगी, तब मुस्कान होगी अधरों पे

सौ बरस भी जी लेंगे उन खुशियोँ के संग पलभर मे

भीग जायेगा तब तन मन मेरा अबकी बार सावन मे..!! 



                         

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