नव वर्ष मंगलमय हो सबका
ऐसी ही कुछ आशा है।
हर दिन बदला हर रात बदली
और कलेंन्डर भी बदल जाता है।
खुशियोँ का आगाज़ रहे
अधरों पर सदा मुस्कान रहे
दिल फूलों सा खिल जाता है।
दुःख के बादल छट जाएं
सुखों की हर पल बरसात रहे
दिल बस ये ही गुनगुनाता है
कुछ अपने छूटे, कुछ सपने टूटे
संभाल लूँ मैं, उन रिश्तों को
जिन्हें प्यार से सींचा जाता है।
प्रेम का अंकुर मन मे फूटे
सब ही सबका सम्मान करें
दिल बस ये ही चाहता है।
अत्याचार, बेबसी, और लाचारी
और दूर हो जाए बेरोजगारी
नही भूखे पेट सोया अब जाता है।
अब हर मौसम सावन हो जाए
पतझड़ मे भी फूल खिल जाए
ऐसे मे झूम के सावन गाता है।
नव वर्ष को मंगलमय सबको
बस इतनी सी आशा है।
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