अंतर्मन
पढ़ाई की मेज पर रखी घड़ी यूं ही
टिक-टिक करती जाती है
गणित,विज्ञान,की किताबें मुझे
बिल्कुल भी नही भाती है।
हर वक़्त किताबें रहती हाथों मे,
पर कुछ समझ नही पता हूँ।
आलस सा रहता है हर वक़्त,
काम टालता जाता हूँ
सच कहूँ तो पढ़ने का मन नही
करता मेरा,मैं खुद से जी चुराता हूं
पढ़ाई के वक्त को मैं
खेलकूद में बिताता हूँ।
बात होती है जब भी मेरी कि
बेटा तुम क्या बनना चाहते हो?
खूब रौब से डॉक्टर,इंजीनियर
और कभी टीचर बतलाता हूँ,
ज्यादा देर रुकता नहीं वहाँ पर
जहाँ पढ़ाई की बात चले,
धीरे-धीरे कदम बढ़ा कर
वहाँ से खिसक जाता हूँ।
हर वक़्त टी. वी कभी मोबाइल
हाथ मे मेरे रहते हैं
दादी, चाची, बुआ और चाचू ,
मेरी डाँट लगाते रहते हैं
पढ़ ले,पढ़ ले,पढ़ ले बेटा
बस ये ही कहते जाते हैं।
मैं बस सुनकर सारी बातें,
ऐसे ही टालता जाता हूँ।
मम्मी, पापा जी से रोज
मेरी,शिकायत लगाती हैं
छोटी,भी मेरी गलती को
एक की चार बताती है,
बस दादा जी की गोद मुझे
इन सब बातों से बचाती है
गलती जब भी हो मेरी मैं
उनके पीछे छुप जाता हूँ।
सच कहूँ तो मैं पढ़ना चाहता हूँ
पर किताब हाथ में लेते ही,सपनों
में खो जाता हूँ,समय कब हाथ से
मेरे छूमंतर हो जाता है,पढ़ता हूँ बहुत कुछ मैं,पर कुछ समझ नही पाता हूँ।
क्लास टेस्ट हो या एग्जाम बिना
याद किए ही नींद चैन से आ
जाती है,जब तक मम्मी सुबह ना उठाएं सुबह आंख नहीं खुल पाती है।
सच बताऊँ ,कभी-कभी तो
सुबह-सुबह ही पिट जाता हूँ।
गहरी नींद में सोया में रंगीन सपने
सजाता हूँ, कभी खुद को डॉक्टर,
इंजीनियर और कभी पुलिस की
ड्रेस में सजा हुआ पाता हूँ।
तभी कहीं अंदर से आत्मा की
आवाज आती है ओ चपरासी!
ओ चपरासी!कहकर मुझे बुला
कर जाती है,खुद को चपरासी
सुनकर मैं झट से उठ जाता हूँ,
चारों तरफ देखता हूँ तो खुद
को बिस्तर पर पाता हूँ।
सरिता प्रजापति,दिल्ली
Bhut achi
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंNc story
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा बिलकुल बचपन याद आ गया सरिता जी
जवाब देंहटाएंWow what a beautiful poetry
जवाब देंहटाएंआप सब का हार्दिक अभिनंदन
जवाब देंहटाएंSuper se bhi upar
जवाब देंहटाएंSuper se bhi upar
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